रविवार, 24 जुलाई 2011

नातिन का स्कूल का पहला दिन

नातिन का स्कूल का पहला दिन 
अगली पीड़ी के पहले बच्चे का, पहला दिन  
याद आ गया फ़ौरन जब उसकी माँ गई थी स्कूल 
ख़ुशी थी रोमांच था और बच्ची भी थी बहुत कूल
पूरे बक्त ह्रदय  में रही हूक दिल में थे डेरों शूल 
काश उस नन्ही जान को समेट लेतीं आंचल में 
ना भेजती स्कूल 
पर कहाँ था यह संभव बच्ची को तो जाना ही था स्कूल 
आज गई है उसकी भी बेटी- वो भी है वैसी ही कूल 
कहानी फिर बहीं से शुरू  होती है पर बदल गया है स्कूल 
सुंदर बाताबरण ए.सी रूम नये- नाज नखरे पर है तो 
वो भी स्कूल 
बेटी बोली माँ बच्ची रोती है देखते ही अपना स्कूल 
बड़ा दिल घबराता है जब मेड ले जाती है स्कूल 
मई बोली मेरा भी दिल घबराया था जब भेजा था तुमको स्कूल 
कितनी हो गई थी मई भी बेचैन घर में 
मस्तिस्क था शून्य जब तुम भी गई थीं स्कूल 
समय चक्र तेजी से घूमता है चाहें हो बह कूल या प्रति-कूल 
इतिहास स्वयं ही दोहराता है हो चाहें हमारे अनुकूल या प्रति-कूल.






8 टिप्‍पणियां:

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

इतिहास यूं ही दोहराता है अपने आप को....
बहुत अच्छी...

रजनीश तिवारी ने कहा…

इतिहास दोहराता है ...सुंदर अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर पीढ़ी में स्मृतियाँ दोहराती हैं।

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

shastri ji ke maadhyam se aapke yahaan aaana huaa....aapne school ke dino ki yaad dilaa di apni rachna se!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

स्मृतियों को सहेजती सुन्दर कविता....

mridula pradhan ने कहा…

bahut pyari kavita....apke natin ki tarah.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

नातिन का नाम क्या है जी!
मेरी ओर से नातिन को बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाह.. बहुत सुंदर।

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