गुरुवार, 3 मार्च 2011
Roshi: अदिति की कामयाबी पर
Roshi: अदिति की कामयाबी पर: "प्रिय बिटिया तुमने जो कर दिखाया वो था नामुमकिन पर हमारे दिए ,गए संस्कार ,प्यार ,आदर्शों पर चलकर कर दिखाया तुमने नामुमकिन भी ..."
अदिति की कामयाबी पर
प्रिय बिटिया तुमने जो कर दिखाया वो था नामुमकिन
पर हमारे दिए ,गए संस्कार ,प्यार ,आदर्शों पर
चलकर कर दिखाया तुमने नामुमकिन भी मुमकिन
कहना बहुत आसालगता है पैर कर गुजरना है कठिन
कई बार तुम्हारी भी हिम्मत टूटी ,और मेरी बढ़ी धरकन
पर मुझको था भरोसा तुम पर ,तुम्हारी क़ाबलियत पर
की कर जाओगी सारी मुश्किलें पर और बड़ा दोगी शान
मुझे तुम पर और तुम्हारी बेटी को होगी तुम पर शान
वो भी माँ से सीख्गी बचपन से महनेत और लगन
हमारे लिए यह खुशयां क्या मायेने रखटी है तुम्हे नहीं मालूम
लगा जैसे ढेर सा सुख आ गया पल भर में दामन में
हमने तो हिम्मत दी पर समंदर में कूदी थी तुम खुद हिम्मत से
और मिल ही गया तिनके का सहारा , और अब जल्द मिलेगा किनारा
गर थान लो तो कुछ भी नहीं है नामुमकिन ,यह दिखा दिया तुमने
जो हमारा सपना था उसकी पा ली है मंजिल तुमने
इश्वर से है प्रार्थना दे वो तुमको हिम्मत और जज्बा कामयाबी का
यक़ीनन तुम खुद पर रस्क करोगी ,फक्र करोगी मंजिल पाकर
यूं तो मेह न त सभी करते है पर तुमने ससुराल में नवजात बच्ची के साथ
किया है वो करिश्मा जो हर किसी के न बस की बात
हमारी हैं दुआएं की इसी तरह करती रहो मंजिलें पार
ताकि हम बता सकें बच्चों को कि सीखो अदिति से एक बार
ममता
माँ की ममता भी कितनी होती है अजीब
जो बच्चे जन्मते ही खो बेथते है माँ का साथ
उन बच्चों का जीवन भी न रहता सजीव
कैसे कैसे कस्त उठाकर और अपना सब कुछ भुलाकर
माँ का जीवन तो जैसे सब कुछ घूमता बालक के करीब
अपनी ख़ुशी ,अपने गम ,अपने शौक ,अपने अरमान
कुछ भी न रहता याद माँ को जब होता है उसका लाडला करीब
बालक हँसे ,माँ मुस्कराए ,बालक उदास माँ घबराये
जब भी हो लाल उसका कामयाब ,माँ अपने भाग्य पर इतराए
ऐसी होती है माँ की ममता ,जिसको देवता भी ना जान पाए
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