मंगलवार, 6 सितंबर 2011

समय चक्र

जीवन के पचास वर्ष पूरे कर लिए सोंच कर होती है हैरानी 
समय चक्र कितनी तेजी से घूमता है बदल देता है जिन्दगी की रवानी 
जिन्दगी में -भी पचास वर्षो में बदला बयां करनी है अपनी जुवानी 
कब बचपन गुजरा बन गए माँ फिर सास और बन गए अब नानी 
हमारी जिन्दगी में आयीं दो नन्ही परियां उनको 
पाला-पोसा होती है हैरानी 
फिर आया हमारा लाडला राघव, सिखाई जिसने हमको जीने की नई कहानी 
विगत दस- पंद्रह बर्षो में उलट- पलट गई जिन्दगी की साडी रवानी 
माँ को खोया, बीमारी, डिप्रेशन और मुसीबतों ने भुला दी थी जिन्दगी की कहानी 
पहले था माँ का साया, तो कभी भी न महसूस होने दी उन्होंने कोई परेशानी 
सबको सब सुख होते नहीं नसीब यही है  हमारी जिन्दगी की एक छोटी सी कहानी 
हमारा साथ दिया पापा ने बहन दोस्तों ने और बच्चो ने 
थाम कर जिनका हाथ कभी भी न रुकी हमारी जिंदगानी 
आगे समंदर था गहरा पर हमारी कश्ती में भी थी पूरी रवानी 
धीरे- धीरे, रफ्ता-रफ्ता किनारे की ओर बढ रही है हमारी जिंदगानी 

मेरे दोस्त तेरे नाम

५० का आंकड़ा कर लिया है तुमने भी पार 
ईश्वर को यूँ ही दया बनी रहे तुम पर अपार 
हम दोनों को शायद इश्वेर ने एक साथ ही दिया होगा आकर 
कई समानताएं कई बातें आती रहीं हैं बार- बार
मै और तुम दोनों यहीं खेले और पले- बढें और सुख पाए 
माँ- पिता की छत्र-छाया और जो सुख चाहा वो सभी पाए 
किस्मत में था एक शहर में रहना साथ दोनों का वो भी निभाएं 
हम दोनों ने ही ईश्वर प्रदत्त, एक- एक होनहार पुत्र रत्न पाए 
माँ भी हम दोनों की जो घर से निकली, दुर्घटनावस् लौट ना पायीं 
पर आज हम दोनों पर ही ईश्वर ने छोड़ी जिम्मेदारिया- जो हम जा रहें हैं निभाए 
मै पापा के पास और तुम्हारे पास पापा देखो है कितनी समानतायें 
ईश्वर नवाजे तुम्हें ढेर सी खुशियाँ, और दूर करे सारी बिप्दायें 
कुदरत ने दी हैं हम दोनों की जिन्दगी में बहुत सी समानतायें 
इन्सान कुछ भी न कर सकता है मंगते है हम यही दुआएं 
जैसे अब तक निभाया है यह रिश्ता वैसे आगे भी हम-तुम निभाएं 
जितनी भी जिन्दगी काटी अच्छी कटी और आगे भी सुंदर सजाएँ ...

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...