बुधवार, 28 मार्च 2012

गम


ऐसा क्यूं होता है की किसी के हिस्से ढेरों गम ?
ज़माने  के ढेरो जुल्म और अनगिनत सितम
क्यों वो दे देता है सारी काएनात की रुसवाई किसी एक को
जरा भी ना सोचता है अपने नेक बन्दे का दर्देगम  

रविवार, 25 मार्च 2012

पाषाण हिरदय

सब कहते हैं कि इंसान वक़्त के साथ बदल जाया करते हैं
समाज ,तजुर्बे ,उम्र ,रिश्ते आखिर बदल ही देते हैं कुछ इंसानों को 
पर जो पाषाण- ह्रदय ही जन्मे थे इस जग में कुछ भीं ना कर पाते हैं 
वक़्त,हालत चाहे दे उनको कितनी भी चोटे वे जस के तस रह जाते हैं 
क्या देखा है कभी किसी शिला को टूटते समंदर कि लहरों से ??
नहीं ना ,,,ना बदला दुर्योधन और  ना ही बदल सका अपने को पापी कंस
ना ही बदली कुटिल चाले शकुनी मामा की और ना ही बदल पाया दुष्ट रावन 
यह या तो नियति या फिर प्रवृति का ही होता है खेल 
पहले भी सबने की थी  पत्थरों से दरिया बहाने की नाकाम कोशिश  
पर ना तब ही कंस बदला और ना ही वो सब बदले अब ............

माँ के भक्त

माँ के भक्त बने वो घंटो मंदिर में कीर्तन किया करते हैं
घर आकर पत्नी और बेटी पर सितम धाय करते हैं 
नवरात्री में सिर्फ फलाहार  का सेवन किया करते हैं 
बेटी और माँ भूखे पेट ही सो जाया करते हैं 
दक्षिणा में मिले रूपए मदिरालय में जाया करते हैं 
माँ -बेटी फूटी कौड़ी को भी तरस जाया करते हैं 
रखते तो माँ के व्रत हैं पर हर स्त्री पर कामुक नज़र रखते हैं 
माँ -बेटी को दरिंदगी की हदों से भी बदतर रखते हैं 
मंदिर में माँ की महिमा का बखान करते हैं 
घर पर लात घूंसे से ही बात आरम्भ करते हैं 
इतना बदसूरत विरोधाभास  हम अक्सर अपने आसपास देखा करते हैं 

शनिवार, 17 मार्च 2012



होली के पावन-पर्व पर कुछ वेह्शी दरिंदो ने हमारे जंवाज पुलिसअफसर नरेन्द्र सिंह की निर्मम हत्या कर दी  उनकी पत्नी माँ बननेवाली हैं इस घटना ने सबको झिंझोर दिया  उनको शिरिधांजलि स्वरुप कुछ मन से निकले भाव........
तन का रंग तो सबने खूब धोया पर निज हिरदय में न झांक पाया कोई 
काया तो कर ली सबने कोरी अपनी पर दिल और आत्मा न बदल पाया कोई 
आतंक ,दहशत ,जुलम ,झूट और फरेब के पक्के रंग जो दिल में थे हमने जुदाए 
काश ,,हम तनिक झांक पते अंतस में तो देता न हमको कुछ भी दिखाई 
छुड़ा पाते एक भी इन अमानुषिक रंगों की परत ,,न होती मानवता यूं बदरंग
मात -पिता के साथ मनाता अजन्मा उनका मासूम लाल 
होली के सबरंग ,,,सबरंग और होली के सबरंग   

होली

होली आयी,फिजाओं में सप्तरंग और बागों में भी है कोयल चेह्काई
ब्रिध -बालक ,नर -नारी और युवा तन -मन सभी पर है मस्ती छायी
रंग ,गुलाल इतर की खुसबू इन सबने है अद्भुत छठा बिखराई
गुझिया ,समोसे ,चाट -पकोड़ी और प्रेमियौं ने तो है भांग घुट्वाई
जीजा -साली ,देवर -भावी जैसे सभी रिश्तों ने दी है होली की दुहाई 
लाल -पीले ,,हरे- नीले सरीखे रंग और गुलाल में रंगकर है मनाई 
है हम सबने खूब होली है मनाई ,,,खूब होली मनाई ............  

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...