ना कोई चिट्ठी .ना कोई संदेस पंहुचा सकते हैं हम वंहा
चली गयी हो माँ आप हम को छोड़ कर जहाँ
रोज़ रोता है दिल ,और तिल तिल-तिल मरते हैं हम यहाँ
सोचा भी न था कभी ऐसा भी होगा हमारे साथ यहाँ
जिंदगी में जैसे एक झंझावत आया और फैला सब यहाँ -वहां
साडी दुनिया मना रही है मात्-दिवस हमारी नज़रे हैं सिर्फ वहां
जहाँ आप जा बैठी हैं,क्यूँ नहीं हमसे मिल सकती हैं यहाँ ???????????????