आजकल जिन्दगी में कुछ अनचाहे मेहमान आ बैठे हैं
ना कोई न्यौता ,ना कोई सन्देश बस आ बैठे हैं
क्रोध ,जलन ,ईर्ष्या ,जैसे यह अनचाहे हैं मेहमान
रोज इनको चाहते हैं जिन्दगी से अपनी भगाना
पर यह पाहून हैं ऐसे ढीठ कि जिन्दगी में गए हैं रच -बस
ना होती है इनकी कोई पूछ फिर भी ना जाना चाहते हैं
रोज अपने अस्तित्व का एहसास भी हरदम कराते हैं
कैसे इन मेहमानों को करू में विदा बताएं आप सब मुझको ?????????