किस्मत से बढकर कुछ नहीं है मिलता देख लिया है जिन्दगी की आपा -धापी में
सब कुछ था अजमाया हमने बस समझ ये ही आया इस जिन्दगी की दौड़ा -भागी में
सारी अक्ल ,सारी होशयारी बस रह जाती है धरी की धरी इस जिंदगानी में
बड़े से बड़े बन्दों को देखा है मिलते खाक और मिटटी में इसी जिन्दगी में
जो लिखा कर आये है तकदीर अपनी वो ही पाते हैं सब सुख जिन्दगी में
अक्सर देखा है बहुत से कर्मयोगी कर्म करते है पूरा इस जिंदगी में
पर कुछ भी ना कर पाते हैं हासिल सारी की सारी जिंदगी में
इस को भाग्य का लिखा कहा जाये या कहें किस्मत की बुलंदी
बिना कुछ करे भी वो सब कुछ पा जाते हैं जिन्दगी में