बुधवार, 9 अप्रैल 2014

कन्या






कल नवमी पर गए थे मंदिर माता के दर्शन करने ,वहां देखा जगह -जगह भंडारे हो रहे थे और बड़ी चहल -पहल थी बड़ा शोर था  पास जाकर देखा तो कन्याओं के वास्ते लड़ाई हो रही थी क्यूंकि कुछ ही बच्चियां वहां पर नज़र आ रही थी और उनको लेकर खींचातानी हो रही थी ,उन कन्याओं को पूजा और भोजन वास्ते हर कोई अपने साथ ले जाना चाह रहा था  बच्चियां कह रही थी भूख नहीं है ,हम थक गए हैं पर आज तो उनके पैर छू -छू कर मनाया जा रहा था ......वाह रे विधाता क्या किस्मत लिखी है स्त्री जात की बस एह दिन मान -मनुहार अगले दिन ही तिरस्कार  आज भरपेट भोजन कल से ही अत्याचार ,यूं ही सिलसिला चलता रहा भ्रूण -हत्या का ,बहुओं को यूं ही जलाते मारते रहे ,लड्कियौं की अस्मत  यूं ही पाँव तले रौंदते रहे तो वो दिन दूर नहीं कि हिन्दुस्तान के स्थान पर विदेश जाना होगा बहु लेने .....   कई राज्यों में तो विवाह हेतु कन्याओं कीबहुत कमी हो गयी है ...........

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...